डाल डाल से प्रसुन चयन कर , डाॅली में भर लाया हूॅ।
गूंथ-गूंथ कच्चे धागों में, हार बना कर लाया हूॅ ।।
बड़े प्रेमसे डाल गलेमें , हार बना कर लाया हूॅ ।
माॅभारत थोड़ा उपकार चुकाऊॅ,लेयही तमन्ना आया हूॅ।
तेरी ही गोदी में खेला,खेल -खेल मैं हुआ बड़ा ।
खाना दाना,पयपान करा ,बालक से तूने किया बड़ा।।
जननीजो जीवनदी मुझको,श्रम,कठिनकिया पाली पोसी।
कम नहीं कियातूने किंचित,तूंनेभी की बिलकुल वैसी।।
सम्मान बराबर ही देकर, दोनों का कर्ज चुकाऊॅगा।
देनेवाले दे शक्ति मुझे,मैं अपना फर्ज निभाऊॅगा ।।
कण-कण में एहसान भरा है,मेरे इस जीवन में तेरा।
उऋण सकूंगा कर अपनेको,सभी चुकाकर ऋण तेरा।।
असंभव सा तो लगता पर,करने का प्रयास करूॅ।
नहीं सभी तो चुक सकता,पर थोड़ा का आश करूॅ।।
जननी एवं जन्मभूमि, एहसान तेरा इतना होता ।
तेरी सेवा से नहीं बड़ा कोई,दुनियाॅ में पूजा होता ।।
सारे चयनित पुष्पों को मै, तुमको ही अर्पित करता ।
दोनों के पावन चरणों पर,नत मस्तक अपना करता।।
दे देना आशीष मुझे, अपनी अभिलाषा पूर्ण करूॅ।
जननी एवं जन्मभूमि की,सेवाकर जीवनसफल करूॅ।।
मेरे सर पर हाथ रहे, ले यही तमन्ना आया हूॅ ।
बीते जीवन सेवा में तेरी,यही मांगने आया हूॅ।।
करना नहीं निराश मुझे,उम्मीद बहुत ले आया हूॅ।
तूॅ माता ,सुत मै तेरा ,अधिकार यही ले आया हूॅ।।