दिल में है दर्द भरा , कैसे इसे बयाॅ करूॅ?
समझ न आये मुझे, कैसे इसे निदान करूॅ??
बन चुका दर्द ही अब, सबब मेरी जिंदगी का ।
कभी हो दूर अगर, कमी का एहसास करूॅ।।
चाहत में कोई तो नहीं,दिल में कभी बसा लूॅ जिसे।
स्वप्न में भी तो नहीं, दिल में जिसे बिचार करूॅ ।।
दिल के आईने में,बस प्रतिबिंब बस तुम्हारी है।
तेरी मूरत से सदा ,दिन रात मै दीदार करूॅ ।।
चाहोगी त्यागना , पाषाण दिल बना के कभी।
अंजाम तक न जाओगी, इस बात का गुरुर करूॅ।।
करोगी नफरते,दिल तोड़ हो ,मसल दो मुझे ।
पर हर कदम से आह तेरी,निकलेगी मैं यकीन करूॅ।।
रोककर कब तलक, रख पाओगी तूॅ आंसुओं को।
निकल ही जायेगी सब तोड़कर,फफक न पडो।।
बडा ही बेरहम, होती है अश्क की बूंदें।
खोल सब भेद देगी, बता तो कैसे रोकूॅ ।।