सोंच, दुनियाॅं का बदला होता.

ज्ञान मानव का मानव , बिगाड़ा न होता।

हाल दुनियाॅ का ऐसा , हुआ ही न होता।।

ज्ञानियों में ठगी चल रही ,आज जमकर ।

ठग ही बैठे बने ,ज्ञानी का रूप धर कर ।।

कौन असली यहाॅं ,कौन नकली यहाॅं ।

या सबके ही सब , आज नकली यहाॅं ।।

बहुत ही कठिन आज, है जान पाना ।

कौन असली या नकली , इसे ही बताना।।

आज शिक्षा का मतलब है, दौलत बनाना ।

मिले चाहे जैसे , उसे लूट लाना ।।

शिक्षा कहाॅं आज , मानव बनाता ।

सिर्फ दौलत कमाने का ,साधन बनाता।।

पाठ नैतिकता का , नहीं आज होता ।

चलता फिरता हुआ , एक टकसाल होता।।

देश -हित में नहीं , कुछ किया अब है जाता ।

सिमट भाषणों तक , केवल रह है जाता ।।

आज नेता और जनता , दोनों एक जैसे ।

सुधरेगा भला ये, समां अब ये कैसे ।।

भ्रष्टाचार का , बोलबाला यहाॅं हैं ।

काम इसके बिना यहाॅं ,होता कहाॅं है??

भ्रष्टाचार रग में, घुंसा जा रहा है ।

रोक पाना तो सम्भव,नहीं लग रहा है।।

रोक पायेगा उंनको , मसीहा जो होगा ।

रुप मानव का पर,उससे ऊपर का होगा।।

काश !मानव में मर्ज ये ,हुआ गर न होता।

सोंच दुनियाॅं का , बदला हुआ आज होता।।

मेरे साकी सा कोई और नहीं.

ऑंखों से ही पीते -पिलाते उन्हें,जाम टकराना उनको पड़ता नहीं।

साकी रहती सदा उनकेऑंखो में ही,दूसरी कोई मन को लुभाती नहीं।।

ऑंखों से ही सुरा जिनकी छलकी करे,साकी ऐसी कोई,है ही नहीं।

पूरे जगत में अकेली है वह,दूसरी कोई वैसी बनी ही नहीं।।

भर नजर देखले चाहे कोई इन्हें,जाम पीनेकी,उनको जरूरत नहीं।

मस्ती छा जाती उनकी झलक देखकर,चढ़ती जल्दी पर जल्दी उतरती नहीं।।

मस्ती की मजा उनकी लेते हैं जो, दूसरी अन्य उनको तो भाती नहीं।

सारी ही मस्तियां उनको फीकी लगे,जो मिलती यहाॅ ,मिल पाती नही।।

यूॅ तो मस्ती अनेकों जगत में भरी,पर ऐसी नशा सबमें आती नहीं ।

डूबते जो भी जल्दी निकलते नहीं,नशा दूसरी दिलको भाती नहीं।।

जाम ऑखों में तेरी गयी है भरी, शुक्रिया कोई किया या किया ही नहीं।

मैं करता नमन अपने कर जोड़ कर,करना स्वीकार,इन्कार करना नहीं।।

यूॅ तो पीने-पिलाने में होती ही देरी, है सबको पता कोई अनभिज्ञ नहीं।

शुरूर चढ़ता तो चढ़ता चला जाता है,भान उनको समय का होता ही नहीं।।

पीने वाला कभी’ बस’ तो करता नहीं,कहता कहाॅ ,अब

नहीं ,अब नहीं ‌।

कोई पीनेवाला ,गर कह दे नहीं, समझे असली पियक्कड़ हुआ ही नहीं।।

है भी अगर तो बहुत जूनियर,गिनती के लायक कहें ही नहीं ।

इनको कर दो अलग,पियक्करों की सूची से, शर्त भी तो ये पूरी , करते नहीं।।

सीखने की जरूरत है काफी अभी,अच्छी तरह इसने सीखी नहीं।

प्रवीणता में थोड़ी कसर रह गयी, मधुशाला में प्रवेश काबिल नहीं ।।

लो गंभीरता से इन शर्तो की बातें,लेना कभी उनको हल्का नहीं।

बहकना है बहके पर ज्यादा नहीं,सर तक पहुंचने दो पानी नहीं।।