कितनी प्यारी लगती है, ये आॅखें तेरी ।
बस गयी चंचल वे आॅखें, आॅखों में मेरी।।
नजर के सामने हरदम, तूॅ रहती है मेरी ।
सिर्फ आॅखो में नहीं, दिल में है जगह तेरी।।
चाहता भूल जाऊॅ मैं ,पर जाती नहीं छबि तेरी।
जगह बना ली है अपनी, वहां इतनी गहरी ।।
किया है लाख यतन, मिटाने को यादें तेरी।
मिटाये मिटती ही कहाॅ ,थककर में हिम्मत हारी।।
खुदा की ओर से, मिली है ये तोहफा तेरी।
कितनी है आकर्षक, कितनी ये है प्यारी ।।
भर नजर देख ले जो, आप की आॅखे प्यारी ।
खो जायेगा होश , भूल जायेगा दुनियां सारी ।।
जिसने भी बनाई होगी , उन आंखों को तेरी ।
समझ न पाया होगा ,क्या है कमालियत तेरी।।
दुनियाॅ बनाने वाले ही , आॅखें बनाई तेरी ।
आॅखें बिना तो जीवन , मकसद विहीन तेरी।।
आॅखें ही दिखाती सब जो , प्रकृति बनाई तेरी।
आॅखें विहीन दुनियाॅ , रहती सदा अॅधेरी ।।
कल्पना की आॅखे, भी कम नहीं तुम्हारी ।