जब आदमी से आदमी ,भयभीत होने लग गया।
तो फिर आदमी हर जीव से,श्रेष्ठ कैसे हो गया??
अपने रास्ता से आदमी ,स्वयं ही भटक गया ।
लोभ ,लालच, मोह में ,स्वयं जा कर फॅस गया।।
फॅस ही गया केवल नहीं ,बुरी तरह उलझ गया।
थे करने क्या जा रहे ,राह ही भटक गया।।
कभी आदमी से आदमी ,प्यार करता खूब धा ।
अबतो आदमी ही आदमी पर ,आतंक बन छागया।
राम के जमाने मे ,रावण तो अकेला था ।
अब तो हर घर में रावण का, भरमार हो गया।।
मारा गया था एक रावण , बाकी कुछ गये ।
इन रावणों को मारने ,फिर राम कब आयेगा ??
अब रोज होता सीता हरण , अनेकों रावण हो गये।
नित्यदिन अब सीता का, हरण होता जा रहा ।।
अग्नि परीक्षा आज भी, सीताओं की हो रही।
रक्षार्थ कोई सामने, कहाॅ कोई आ रहा ??
अबला तो अभी भी, बनीहै बेचारी ।
उबारने को राम फिर ,जानें कब आयेगा ??
अबला कह नारियों पर, जुर्म ढाते लोग हैं।
नारियों को दूर्गा ,बनना ही पड़ जायेगा ।।
राम कृष्ण इस देश में , पैदा तो होते आ रहे ।
पता नहीं खुद स्वयं आ , इन लोगों को बचायेगा।।