जो कुछ कर दिखाते हैं.

दुनियाॅं तो रंग बदलती है,लोगों की बदल जाती नीयत।

साथसमयके सभीबदलते,इन्सांकी बदलजाती फितरत

समय बदलता लोग बदलते,लोगोंका सोच बदलजाते।

जो नहीं बदलते संग युगके,मुख्यधारा से,छुट जाते ।।

बहुत ही कम होते जगमें,जो धाराके बिपरीत लड़े।

जगमें फैली विश्वास-अंध को,जूझ-जूझकर खत्मकरे।।

बहुत कम होते लोग यहाॅं, जो यह सब कर पाते हैं ।

पुरुष नहीं होते केवल, युग पुरुष वही होते हैं ।।

पैदा होता बहुत दिनों पर,कभी -कभी कोई एक।

वैसे तो नित होते पैदा, जग में लोग अनेक ।।

रत्न अनेकों हैं सागर में,पर किसे कहाॅं मिल पाता है।

कभी-कभी बिड़ले लोगों को,हीतो वह मिलजाता है।।

पूर्ण लगन से भिड़े जो होते,कर वे कुछ दिखलाते हैं।

तन-मन-धन सारे कुछ देते,वेही तब कुछ कर पाते हैं।।

पाने से पहले जीवनमें, खोना तो कुछ पड़ता है।

पठन-पाठनकर स्वयंहै तपता,वही कुछतो कर पाताहै।

कहते हैं कुछ लोग यहाॅं,मानव खुद भाग्यविधाता है।

अपने कर्मों को खुद ही कर,अपना भाग्य बनाता है।।

सदा नमन के योग्य वे होते, जो कुछ कर दिखलाते हैं।

आदर और सम्मान जगत के, लोगों से वे पाते हैं।।

माना लोग बहुत हैं थोड़े,जो देकर जग को जाते हैं।

परमार्थ वही हैं कर पाते, लोगों को पथ दिखलाते हैं।।

कृति उनकी सदा चमकती,श्रद्धा का सुमन चढ़ाते हैं।

नमन लोग दिलसे हैं करते,नत-मस्तक हो जाते हैं।।