जिंदगी अनोखी चीज है होती.

यह जिंदगी कैसी अनोखी , चीज है होती ।

जीते नहीं पर जानते , क्या चीज ये होती।।

गुमनाम ही आते ,सभी गुमनाम ही जाते।

क्या है यहां करना , सभी गुमनाम ही रहते।।

नहीं कोई बताता है, नहीं कोई बताया है ।

कभी कोई बताया भी ,सभी अटकल लगाया है।।

जो भी बनाया हो , कोई मकसद तो होगा ?

रचयिता जो भी हो, इसका कोई मतलब तो होगा??

बिना मतलब की ,कोईचीज तो बनती नहीं है ।

बनी हर चीज के पीछै ,छिपा कुछ तथ्य भी है ।।

नहीं जब जानते गुण ,चीज सब बेकार लगते ।

अनमोल हीरे सिर्फ एक , पत्थर ही दिखते ।।

जो जौहरी होता, परख केवल वही पाता ।

समझ जिनको नहीं ,हीरा उन्हे पत्थर नजर आता।।

मानव बने हो,ज्ञान गुण तुममें भरा है कूटकर।

जिसने बनाया हो,बनाया है बहुत पर सोंचकर ।।

सर्वोत्तम बने तो काम , सर्वोत्तम करो तुम ।

चयन संमार्ग का कर, लोग को अवगत करा तुम।।

दिखा दो राह सबको, कौन पथ जाता किधर है।

किधर जाना मनुज को चाहिए, अनुचित किधर है।।

विवेक तुमको है मिला , उससे जरा तो काम ले लो।

उचित अनुचित कहाॅ क्या है,जरा संज्ञान ले लो।।

मनुज को कर्म से , कुछ जिंदगी आवाद है होती ।

यह जिंदगी कैसी अनोखी, चीज है होती ।।

मुक्तक

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(01)

जो खेलते हैं आग हे , डरते नहीं तुफान से

सागर का सीना चीरते ,टकराते सदा चट्टान से।

भय भागता भयभीत हो , बस एक ही हुंकार से।

पर झुकाता स्वयं को , कोई कहे जब प्यार से ।।

(०२)

जो सम्मान देते और को , सम्मान पाते भी वही।

अपमान जो करते किसी को,अपमान भी पाते वही।।

अपमान और सम्मान का, रिश्ता नया तो है नहीं।

सम्मान से पीकर हलाहल, नीलकंठ बन पाये वही।।

(०३)

जन्म से ही कोई बुरा , इन्सान नहीं होता ।

नहीं कोई हिन्दू या कोई,मुसलमान ही होता ।।

धरती पर सबलोग आते ,इन्सान ही बनकर।

पर लोग उनको बाॅट कर,कुछ भी बना देता ।।

(०४)

दीपक खुद जल कर , सबको प्रकाश देता है।

चंदन भी खुद जल कर,सबको सुबाष देता है।।

जो दाता है वह तो , देकर ही आनन्द पाता है।

तिलैया सूख जाने तक ,सबका प्यास बुझाता है।।

(०५)

जहाॅ याचक बहुत होते, दाता मिल ही जाताहै।

जहां दाता न हो कोई ,याचक न होता है।।

भिक्षुक बनाने में अहम,है रोल दाता का ।

अगर हो ना समझ दाता ,याचक बनही जाता है।।

(०६)

शिला देते वही , जिनके दिलों में प्यार बसता है।

बहुत नाजुक वो होता दिल, जिसमें प्यार रहता है।।

जो पाषाण दिल होते ,न होता प्यार थोड़ा भी ।

चट्टान पर भी क्या कभी , गुलजार रहता है ।।

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