यह जिंदगी कैसी अनोखी , चीज है होती ।
जीते नहीं पर जानते , क्या चीज ये होती।।
गुमनाम ही आते ,सभी गुमनाम ही जाते।
क्या है यहां करना , सभी गुमनाम ही रहते।।
नहीं कोई बताता है, नहीं कोई बताया है ।
कभी कोई बताया भी ,सभी अटकल लगाया है।।
जो भी बनाया हो , कोई मकसद तो होगा ?
रचयिता जो भी हो, इसका कोई मतलब तो होगा??
बिना मतलब की ,कोईचीज तो बनती नहीं है ।
बनी हर चीज के पीछै ,छिपा कुछ तथ्य भी है ।।
नहीं जब जानते गुण ,चीज सब बेकार लगते ।
अनमोल हीरे सिर्फ एक , पत्थर ही दिखते ।।
जो जौहरी होता, परख केवल वही पाता ।
समझ जिनको नहीं ,हीरा उन्हे पत्थर नजर आता।।
मानव बने हो,ज्ञान गुण तुममें भरा है कूटकर।
जिसने बनाया हो,बनाया है बहुत पर सोंचकर ।।
सर्वोत्तम बने तो काम , सर्वोत्तम करो तुम ।
चयन संमार्ग का कर, लोग को अवगत करा तुम।।
दिखा दो राह सबको, कौन पथ जाता किधर है।
किधर जाना मनुज को चाहिए, अनुचित किधर है।।
विवेक तुमको है मिला , उससे जरा तो काम ले लो।
उचित अनुचित कहाॅ क्या है,जरा संज्ञान ले लो।।
मनुज को कर्म से , कुछ जिंदगी आवाद है होती ।
यह जिंदगी कैसी अनोखी, चीज है होती ।।