बदल गया कितना विहार, अपनी आॅखों से देख लो।
कितना विकास कर रहा सुनोमत,स्वयं नजरसे देखलो।
एक आदमी क्या करसकता,स्वयं देखकर करो विचार।
महसूस करो,क्या सोंचा थाकोई,बदलेगा इतना विहार।
और बदलना है कुछ बाकी, धीरे-धीरे सब बदल रहा।
जोजकड़ गयाथा रोग पुराना,लेस्वास्थ्य लाभमें वक्तरहा
पा लेगा सम्मान पुनः यह,जो कालचक्र में लुप्त हुआ ।
गौरव प्राप्त करेगा खोया,फिरसे विहारका उदय हुआ।।
पा लेगा सम्मान पुनः यह,जो कालचक्र में लुप्त हुआ।
गौरव प्राप्त करेगा खोया,फिरसे विहारका उदय हुआ।।
मेधाबल की कमी नहीं थी,माहौल सुनहरा देना था।
सोयोंको पुनः जगा जगाकर,नया विहान फिर लानाथा।
अग्रणी रहा है सदा बिहारी,फिरसे आगे बढ़ जायेगा।
कररहे कदम डगमग थेमेरे,लेठोस कदम बढ़ जायेगा।।
बुद्ध दिया,गुरुगोबिंद दिया,सम्राटअशोक हमनेही दिया
समस्त विश्व में वैशालीने, गणतंत्र का पैगाम दिया ।।
पुनः उभर कर एक विहारी,आया उस धरती के ऊपर।
बढ़ा रहा आगे विहार को, बड़े प्रेमसे इसे निरंतर।।
झेल रहे आॅधी तुफान,पर कदम हमारे बढ़ते जाते।
उदय लिया है एक सूर्य, अब अंधकार छंटते जाते।।
दूर करेगा सूर्य यही बन,एकदिन भारत की अंधियाली।
गणतंत्र के ही जैसा फिर , विश्व बनेगा अनुयायी ।।
जा बढ़ते अपनी राहों पर ,पुरा बिहारी साथ तेरे है।
जनता के दिल में तुमहो,तूंने विकासका काम किया है।