मैं नहीं भूला अभीतक ,वह जमाना याद है।
बालपन की बात सारी , भी अभीतक याद है।।
गाॅव की वह तंग गलियाॅ ,बज बजती गंदी नालियों।
डगर बदबू से भरा , करता सुअर है रंगरलियाॅ ।।
आवारा कुत्ते भागकर , है जाते आते दौड़ कर ।
बेचैन कर देता कभी , अपनें गले का शोर कर ।।
पुकारता कोई दूर से , रह जाता दब कर शोर से।
सुन पाइएगा कुछ नहीं ,भुकते है इतने जोर से।।
बदला है थोड़ा अब जमाना , बीते पचासों वर्ष में।
पढ़ना हुआ आसान अब , इतने संघर्ष में ।।
मैं डूब जाता हूॅ खुशी से , भूला नहीं सब याद है ।
बालपन की बात सारी , भी अभीतक याद है ।।
कोई मुसाफिर साईकिल से,जब गुजरता था कभी ।
मित्रों सहित हम कौतूहल से, दौड़ पड़ते थे सभी ।।
रहता नहीं कोई ठिकाना, पास जा हम देखते तब।
भाग्यशाली हैं बडा वह , मन ही मन हम सोंचते तब।।
बैठने का भी मुझे क्या ,आयेगा अवसर कभी ।
उस मुसाफिर की तरह क्या, मैं चलाऊंगा कभी ।।
ख्याल की दुनिया में मैं, बस सोंचता ही रह गया ।
वह मुसाफिर दूर हमसे , जानें कब का चल गया ।।
हालात साऐ ही बदल गये , पर मुझे सब याद है।
बातें सारी उनदिनों की , हू-बहू सब याद है ।।
हालात तो सुधरे बहुत, संस्कार ही को भूल गये ।
भौतिकता में डूब कर,मानवता ही भूल गये ।।
हम बढ़े कुछ क्षेत्र में, विज्ञान में कुछ गये ।
चाॅद ,मंगल पर हमारे ,यान आकर आ गये।।
गंभीरता से सोंच लो , क्या पाये है क्या खो दिए ।
क्या कहूं ,कुछ पाये जब , नैतिकता ही खो दिये ।।
विकास कहते आज जिसको ,क्या वही विकास है।
बहुमूल्य हीरे को लुटा ,कोयले से जोड़ा आस है।।
हम देखते रह गये खड़े , चुपचाप पर सब याद है।
दुनियाॅ बदलती रंग कैसे ,देखा ,सुना और याद है।।
मैं नहीं भूला अभीतक , वह जमाना याद है ।
बालपन की बात सारी, भी अभीतक याद है।।