प्यार करते बहुत, कह जताते नहीं ।
दिल तो कहता,हलक से निकलता नहीं।।
ऊॅचा उठता लहर , ज्वार सा ले कहर ।
फिर भी दिखता नहीं , चेहरे पर असर ।।
दिल ये गहरा है , सागर की गहराई से भी ।
न पड़ता असर , इसके उपर कभी भी ।।
प्यार लेता है अॅगराई , तन्हा में कभी भी ।
पर परखने न देता , किसी को कभी भी ।।
दिल ये जलता जले , चाहे जितना भले ।
जुबां बिन हिलाये , कभी न हिले ।।
दाब रखना इसे , इतना आसाॅ नहीं ।
रोक लेना भनक भी , तो आसाॅ नहीं ।।
दिल ये कहता कभी ,भेद कह दूॅ उन्हें ।
कसक दिल की अपनी , बता दूॅ उन्हें ।।
पर झिझक कुछ न करने , न देता मुंझे ।
रौक कर वह विवस,किये क्षय देता मुझे ।।
दिल में बातें छिपी , कैसे कह दूॅ तुझे ।
बिन कहे चैन मिलता न सम्भव मुझे।।
चाहे जैसे हो हिम्मत जुटानी पड़ेगी ।
झिझक चाहे जैसे , मिटानी पड़ेगी ।।