दिल के झरोखे से , अनोखा चाॅद देखा है ।
बेदाग , सुंदर , बादलों के , पार देखा है ।।
स्निग्ध , चंचल रश्मियाॅ , विकीर्ण होती हुई प्रभा।
शीतल चाॅंदनी आकाश में ,प्रतिविंब देखा है ।।
छिपे घूंघट की ओटों से , कभी बाहर निकल आता।
हसीनों में हसीं एक , चौधवीं का चाॅद देखा है ।।
घुंघराली अलक सा बादलों में ,रूप देखा है ।
लटें काली हो मणियारी , करते फुफकार देखा है।।
कड़कती बिजलियां मानो,उगलता गरल सा दिखता।
आसमां से गिरता हलाहल से ,होता मौत देखा है ।।
विहंसता हुआ उस चाॅद को , वाखूब देखा है ।
उस आलोक में दिखता ,नजारा खूब देखा है।।
समय के साथ दुनियाॅ की ,सब कुछ बदल जाती।
सुन्दरतम वस्तु को होते ,एकदिन खाक देखा है।।
यह निस्सार दुनियाॅ है , भरोसे के कहाॅ काविल ?
किया जिसने भरोसा , होते उन्हें बैचैन देखा है।।
मिले विवेक से अपना ,जीवन वसर यह करलो।
उचित कोई मसविरादे आपको,बहुत कमलोग देखाहै।
भरोसा मत करो ज्यादा, आॅखें खोल रख अपनी ।
दिल में क्या छिपा किसका ,नजर से कौन देखा है।।
बातें सत्य पर इतनी, यही सब लोग हैं कहते ।
घटना जो घटा करती, कहां सब लोग देखा है??
दुनियाॅ में सभी चीजें , प्रकृति जो जो बनाई है ।
समझना चाहकर पूरा समझ कर,कौन देखा है??
कोई बोल भी देता, अगर कि मैने देखा है ।
भरोसा हो नहीं पाता ,कि इसने सत्य बोला है।।