पीढ़ी जब बदलती है,तो सब रिश्ते बदल जाते।
जो होते भाई ,चाचा बढ़,वही दादा भी बन जाते।।
चलता सिलसिला आगे,सदा बढ़ता चला जाता।
बढ़ती पीढ़ियाॅ जाती , रिश्ता बदलता जाता ।।
नियम है यह पुराना , आदी से चलता यही आता।
चलेगा और चलता जायेगा ,शाश्वत यही होता ।।
रिश्ते सब बदल जाते,समय के साथ में जैसे।
नहीं पर है बदलता एक ,रहता है सदा वैसे ।।
ये रिश्ता कौन है ,सोंचें बतायें , कौन होगा वह ?
बहुत विख्यात है जग में, सारे लोग जानें यह ।।
ये चाॅद -मामा है ,जगत में सब के ही मामा ।
पूर्व से आ रही जो पीढ़ीयाॅ ,उन सबों के मामा ।।
निष्पक्ष रहते हैं सदा ,सबके हैं ये प्यारा ।
न मतलब धर्म-जाति से,उन्हें लगते सभी प्यारा।।
सबों को प्यार करते हैं, उन्हें प्रकाश ये देते ।
शीतल छाॅव दे आपना ,सुखद एहसास ये देते।।
मुखड़ा दिखा कर लोग को, उनको लुभाते हैं।
उपर आसमाॅ से झाॉकते , सौंदर्य लुटाते हैं ।।
दिवस जब बीत जाता ,रात में चंदा निकल आता।
तिमिर को बेंधता ,आकाश में प्रकाश छा जाता ।।
बच्चे देखते है चाॅद को ,किलकारियाॅ भरते ।
माॅयें लोरियाॅ गा , चाॅद का गुणगान हैं करतें।।
यह प्रथा तो युग युगों से , ही चला आता ।
बच्चे ही नहीं सबलोग ,सुनता भी चला आता।।
मामा चाॅद की कहानियाॅ , विख्यात है जग में ।
सुनना ,सुनाना भी चलेगा, सर्वदा जग में ।।
सोने की कटोरी में ,दूध और भात ले आते ।
चीनी डाल मीठाकर , भाॅजे को पिला जाते।।
मामा चाॅद ,आदर से, तुम्हें प्रणाम हम करते।
निभेगा सर्वदा रिश्ता , यही अनुमान हम करते।।