पेड़ अति जरूरी है.

अहमियत दीजिए हरलोग का,अवश्य देना चाहिए।

महत्व सबका है अलग, बातें समझ लेनी चाहिए।।

किस चीज की पड़ जाये जरूरत,कौन जानता?

कब आ पड़े कोई जरूरतमंद,है किसी को क्या पता??

किस पौधे में छिपा है क्या गुण,जो जानते सो जानते।

हो सकता जीवनरक्षक वो, जानते सो मानते ।।

हमें ज्ञान नहीं ,समझ न पाते, गुण कितने छिपे पड़े हैं।

यह प्रकृति का अनमोल खजाना, में क्या भरे हुए हैं।।

प्रकृति-प्रदत्त उपहार को, हम ब्यर्थ बर्वाद किये देते।

यह रत्न बड़ा अनमोल है,भले पहचान नहीं पाते ।

निकल आये ऐसा पोधा, जो संजीवनी बन जाये।

जिनके प्राण हो उड़ने को,जीवन उनका बन जाये।।

कहीं अनजान पौधे को, हम बर्बाद ही न कर दें ।

अज्ञानताबस काट उसे , ईंधन ही न कर दें ।।

फिर तो कोई बेहोश लक्ष्मण, कैसे बच पायेंगे ?

हनुमान चाहकर भी फिर उसे, कैसे ला पायेंगे ??

पडी थी सामने संजीवनी, हमने तो उसे जला दी ।

जंगलों से काट ब्यर्थ,कितनी जिंदगी गंवा दी ।।

प्रकृति का अनमोल रत्न,हम बर्बाद करते जा रहे।

अपने ही हाथों अपनी , मृत्यु को बुलाते जा रहे ।।

रोकना कोई चाहता , तो हम उसे शत्रु समझ लेते।

अपने ही परम रक्षक को, हम भक्षक समझ लेते।।

उनमें छिपे गुणों को ,हम समझ ही कहाॅ पाते ?

खर-पतवार समझ हवाले ,अग्नि को करवा देते ।।

हमें हर रोज,बिन मांगे, जो देता प्राणवायु है ।

बिना बताये ही हर जीव का, बढाता जो आयु है।।

हम बेरहम, हो बे झिझक, उसे खत्म कर देते ।

अपने प्राणवायु श्रोत को, खुद ही नष्ट कर देते ।।

सम्हलिये , सोंचिये वरना , सब को तय है मर जाना।

बिन प्राणवायु जिन्दगी को ,सम्भव है बच पाना ??

यह तो कोरोना से भी भयानक ,रोग फैला जा रहा।

धरती पर से जीवों का,निशां भी मिटता जा रहा ।।

जब तलक पौधे रहेगें ,हर जीव भी रह पायेगा ।

अगर ये सब खत्म होगें, न कोई जीव भी बच पायेंगा।।