आॅखें सबों को दो दिया.

जिसने किया निर्माण दुनियाॅ, आॅखें सबों को दो दिया।

रखे नजर हरलोग पर,जरूरत समझ हर को दिया ।।

देखना और समझ पाना, दोनों अलग ही बात है।

गहराई उनकी जान पाना, उससे भी गहरी बात है।।

जो आॅखें हमारी देखती ,वह वाह्य को ही देख पाती।

अन्दर छिपी जो चीज है,उसको कहाॅ है नजर आती।।

अंतर्दृष्टि की हो शक्ति जिनमें,उन्हें गूढ़ भी आती नजर।

रहती सदा जागृत हो, उसको सभी आती नजर ।।

जीवन दिया है जो हमें , कुछ साथ भी उसने दिया ।

पर काम हम लेते न उनसे, निष्कृय ही कर लिया ।।

ंनेत्र तृतीय जो पड़े , हो अक्रिय सब लोग में ।

अपार शक्ति पूंज है वह , जो जाग सकता लोग में।।

ज्ञान का भंडार दे कर, प्रकृति मानव बनाई।

खोज सकते हैं वहीं से , गर जरूरत पड़ गयी ।।

ज्ञान का भंडार से , अज्ञानता का अंत इसमें।

हो जो जरूरत खोज सकते,मिलजायेगेंसबकुछ ही इसमें।

यह अनोखी चीज है, बर्बाद मत करदे इसे ।

घुॅसने न इसमें गन्दगी दें, स्वच्छ रखना है इसे ।।

आत्मा का वास इसमें ,निर्मल सदा वह स्वयं होता ।

गर गन्दगी घुंसने नहीं दें,तो स्वच्छता भी कम नपाता।।

धन्य तूॅ है प्रकृति , क्या चीज है तूॅने बनाई ।

जिसकी जरूरत है उसे, सब चीज ही तूॅने बनाई।।

बर्बादियों से हम बचा लें, पर्यावरण गर शुद्ध हो।

फिर चैंन की बंशी बजे , हर ब्याधियों से दूर हो ।।