जितनी बात दिल में हो,बताई जा नहीं सकती।
होती बात कुछ ऐसी, छिपानी सख्त उचित होती।।
कुछ ऐसी हुआ करती , गलत प्रभाव जो देती।
अच्छे भले माहौल को, दूषित किये देती ।।
बातें मन का में जो आये , उसे मंथन जरा कर लो ।
मस्तिष्क गर उचित कहदे,तो अवश्य ही कह दो ।।
बिन सोंची हुई बातें , कभी ऐसी गलत होती ।
सुधारें भी अगर उसको,सुधर पर वह नहीं पाती।।
नतीजा क्या निकल आये, कोई कह नहीं सकता।
सदा संग्राम महाभारत,जैसा भी करा सकता ।।
समय पर ही सभी बातें , उचित मालूम है पड़ती।
असमय ब्यक्त खूबियां भी, कभी बेकार सी लगती।।
किसी भी बात करने का समय, अनुकूल जब आता।
बातें आपकी भी उस समय,अति प्रभावी हो जाता ।।
समय ही सब कराता है, मानव कुछ नहीं करता ।
वक्त जब साथ देता है ,तब सबकुछ सुधर जाता।।
सच बोल देना भी,कभी अपराध हो जाता ।
गुण जितना भरा हो आपमें,अवगुण कहा जाता।।
मस्का लगाते जो, उन्ही का कद्र है होता ।
मस्केबाज की नजरों में , ऐसा भद्र कहलाता ।।
पर मस्का लगाते जो , भरोसे का नहीं होते ।
जरूरत आ गयी तो आपसे, मुॅह फेर भी लेते।।
ऐसेलोग दुनियां में, अधिकतर ही मिला करते।
बहुत कम लोग होते जो,समय पर काम हैं देते।।
भरोसा के कबल उसको, बहुत अच्छी तरह परखें।
खड़ा उतरे अगर फिरभी ,नजर में ही उन्हें रखें ।।