असली नकली.

कुछ बिश्वास करते लोग , हाथों की लकीरों में ।

हनन पर कर नकली ,घुसे जो है फकीरों में ।।

नकलची लोग दुनियाॅ में , सर्वदा से रहा करते।

चाहे कोई भी युग हो , उपस्थित वे रहा करते ।।

नकलची ,नकलची होते, नकल कुछ का भी कर लेते।

चाहे वे किसी का भी , नकली रूप धर लैते ।।

करिश्मा यह‌ दिखाकर लोग को ,भ्रमित कर देते ।

नकली रूप को उनके , लोग असली समझ लेते।।

नकली की ही दुनियाॅ में,अति विकास होता जा रहा।

असली यूं भी कम होते ,अब तो लुप्त होता जा रहा।।

अब अधिकांश चीजें भी , नकली बना करते ।

हर उपयोग की चीजें, असली कम मिला करते।।

अब लोग में नकली की आदत,घुंस गयी ऐसी ।

यहां तक जान-रक्षक दवा को, भी नहीं बख्सी।।

भले ही जान अपने ,स्वजनों की ही चली जाये।

मकसद सिर्फ है उनका,अधिक दौलत चली आये।।

दौलत के अलावे,और कुछ उनको नहीं भाती ।

मतलब तक नहीं उनको,ये चाहे जैसे भी आती।।

कूकर्म दौलत के लिए, ऐसे किया करते ।

कितनी जान जा सकती ,सोंचा तक नहीं करते।।

न जाने क्या करेंगे लोग ऐसे,दौलत जमा करके।

खाली हाथ ही जाना पड़ेगा ,नहीं कुछ साथले करके।।

नियति का यह नियम तो,सर्वदा से ही अटल है।

दौलत छोड़नी पड़ती यहीं, चाहे चल अचल है।।

फिर भी मोह माया ने मनुज को, जकड़ है डाला।

जानता लोग सब सच्चाई को, पर भुला जाता ।।