किये गये भूल की अपनी , जिसे एहसास हो जाये।
तो उनकी जिंदगी में सर्वदा , प्रकाश छा जाये ।।
गिरे जो कूप में होते , निकल बाहर चला आये ।
पर्वत की शिखर तक एकदिन,निश्चित पहुंच जाये।।
अपनी भूल का एहसास पर, जिनको हुआ करता ।
उनका दिल में जज्बा , बालपन से ही भरा रहता।।
़झिझक में वे पड़े रहते , बॅधे संकोच से रहते ।
कहीं अवसर मिला उनको,तोड़ बंधन निकल जाते।।
सितारे सा बहुत ऊॅचाईयो तक, वे चले जाते ।
धरा से उठ गगन तक, पहुंचने का हौसला रखते।।
ऐसे लोग इस संसार में , अमर हो जाते ।
बाल्मीकी , दास तुलसी, सा चमक रखते ।।
एहसास करना भूल का , आसान न होता ।
दिल उनका बड़ा होता,कभी कमजोर न पड़ता।।
दृढ़प्रतिज्ञ वे होते , अगर कुछ ठांन वे लेते ।
बिना पूरा किये उसको, दम तक नहीं धरते।।
बाधा देख उनके सामने से, भाग हैं जाते ।
उनके आगमन का रास्ता, प्रशस्त कर देते।।
ऐसे लोग तो जबकभी प्रण , ठान हैं लेते ।
मग में आये बाधाये , हाथों खड़ा कर लेते।।
उनको देखते बाधायें, खुद ही भाग जाती है।
हिम्मत लौट आने की ,फिर, जुटा न पाती है ।।