चलो हम पेड़ लगायें.

भारत की फुलवारी में,हमसब भारतवासी आयें।

विविध तरह के, पौधों-पेड़ो,आयें स्वयं लगायें ।।

फैल रहा है प्रदूषण, धूल, गर्द और कोलाहल का।

उगल रही है चिमनियां,दिन-रात धुवां उत्सर्जन का।।

रासायनिक कचरे निकल रहे,अनवरतउपने अवशेषों का।

प्रदूषित करते दिन-रात, इर्द+गीर्द सबलोगों का ।।

जनजीवन के शत्रु जहर से,होना पड़ता है दो-चार।

घोल रहा है गरल सदा ही, जन-जीवन में लगातार।।

डाल रहा अपना प्रभाव वह,सारे सचर-अचर के ऊपर।

प्रभाव छोड़ता जाता है,जीव,जन्तू , बनस्पतियों पर।।

आसीजन का चक्र प्रकृति ने, सुंदर बहुत बनाई है।

उत्सर्जित कार्बन गैसों को,आक्सीजन फिर बनवाई है।

पेड़ों-पौधो के हरे पत्तो में, क्लोरोफिल डलवाई है।

कार्बन आक्सीजन पुनः बने,ऐसी तरकीब लगाई है।।

प्रदूषण हो रहा अधिक तो,जंगल अधिक लगाना होगा।

अन्य तरीके अपना कर , प्रदूषण दूर भगाना होगा ।।

नाले नदियां स्वच्छ रहे, ये ध्यान सबों को देना होगा ।

स्वच्छ रहे वायुमंडल,मिलकर सबको कुछ करनाहोगा।

जागरूक जनता होगी तब, प्रदूषण स्वयं ही भागेगा।

बिगड़ी आदत जब सुधरेगी, वह स्वयं ठहर ना पायेगा।

आयें सब मिल आपस में,एक कसम यह खायें।

हर व्यक्ति निश्चय करके, पांच-पांच पेड़ लगायें।।

प्रदूषण का भूत देख फिर, कैसे यहाॅ से भागेगा ।

लौट कभी यह नहीं यहां पर,फिर से कभीभी आयेगा।।

आयें हमसब मिल आपस में, एक कसम और खायें।

मृत जीवों को हम हरगिज़, नदियों में नहीं बहायें।।

नदियां स्वच्छ रहे हरदम,ऐसा अभियान चलायें।

गिरते नालों को ट्रिटमेंट कर,के उसमें गिरवारये।।

भारतकी फुलवारी में,हमसब भारतवासी आयें।

विविध तरह के पेड़ों-पौधो, आयें स्वयं लगायें ।।

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