फिर राह बताये कौन ?

लोग सभी भटके भटके है , अपने पथ ही भूल गये हैं।

जब सभी लोग ही भटक गये; फिर राह बताये कौन??

सब बनकर अंधे बैठे हैं , स्पष्ट नहीं उनको दिखते हैं।

सब एक दूसरे से पूछ रहे , स्पष्ट करे फिर कौन ??

बहरे सबही लोग हुए हैं ,सुन कहां किसीको कौनरहे हैं।

जब कोई नहीं सुनने वाला,बिन सुने बताये कौन ??

सरपट भागे जा लोग रहे हैं,भगदर सारे ओर मचे हैं ।

कारण भी नहींहै पता किसीको,तोकिसे बताये कौन??

सबके सबही ब्यस्त बड़ेहैं,समय किसी के पास नहीं है।

पूछ रहे जिस आप किसी से , भला बतावे कौन ??

सिर्फ सुनाना लोग चाहते ,श्रोता बनना नहीं चाहते।

ब्यर्थ सुनाने के चक्कर ,रहते हरदम बेचैन ??

बदल गयी है सारी दुनियाॅ , बचा बदले बिन कौन ?

जो नहीं बदल पाते दुनियाॅ संग,उसे पूछता कौन ??

संग हवा के रुख जो बढ़ते ,उनका चलना आसान।

बिपरीत हवारुख कठिन है चलना,चल पाताही कौन??

जो चलपाते,युग-पुरुष कहाते,कबकिसे बताये कौन??

नियत समय पर आयेगे ही, उन्हें रोक पायेगा कौन ??

पथभी मेरा नहीं बताया,चलना तक भी नहीं सिखाया।

अपने विवेक से ढ़ूढ़ो सबकुछ ,बतलायेगा कौन ??

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