किसे बिसारूॅ ,किसे पुकारूॅ , नहीं समझ में आता ।
करूॅ भरोसा किसके ऊपर ,नजर न कोई आता ।।
मौका परस्त सब आज लोगहैं,मौकापर काम नआता।
निकल गया गर मौका उनका,सीधी बात न करता।।
मौका परस्तों की दुनिया है,लगभग ही लोग हैं ऐसे।
इसी बीच में जीने को, मजबूर सभी है वैसे ।।
मतकरो भरोसा अधिक लोगपरसतर्क सदारहना सीखो
अपनी आंखें खोल सदा, सचेत स्वयं रहना सीखो ।।
आसान,नहीं,है बहुतकठिन,भरोसेमंद मिल जाना।
अथाह समंदर से जैसे, रत्नों का खोज लगाना ।।
मित्र अगर सच्चा मिल जाये,सचमुच अनमोल बहुतहै।
पर कहाॅ मित्र मिल पाता बैसा,मिलना बहुतकठिन है।।
वैसे भी अनमोल रत्न, रहते ही कहाॅ अधिक है ?
तारे अनन्त तो रहते नभ में,चंदा कहाॅ अधिक है??
करो भरोसा खुद अपने पर,सत्-पथपर बढ़ते जाओगे।
निश्चितही विजय तुम्हारा होगा,जीतका सेहरा पाओगे।
तुफान कभी आते सागरमें,आगोश में कुछ को ले लेते।
पर उसी बीच छोटी किस्ती भी,सागरमे उतराते रहते।।
कुछ है शक्ति ऐसी प्रकृति में, सबकुछ वही चलाती है।
अदना सी चीजों को भी , डूबने से वही बचाती है ।।
करो भरोसा उस शक्ति की,सबको पार लगाती है।
सिर्फ अकेला वहीहै करती,कोईऔर नजर न आतीहै।।