नफरत न करो.

गर प्यार कर सकते नहीं तो,नफरत भी न करो।

यृं मायूस हो क्यों बैठ गये ,अजी कुछ भी तो। करो।।

यह जिंदगी दो-चार दिन की, यही सत्य है,यह जानलो।

खुशियां बांटलो गरबांट सकते,मत ब्यर्थ इसे जायाकरो

जीते जिंदगी हर लोग पर,अपने ही तरीकों से सभी।

किसी से मदद लेने से बेहतर,किसीका मददकिया करो

किसीको देकर वापस मांगने कीउम्मीद मत बांधा करो

देकर भूलजा तो अति-उत्तम,कभी मुख खोल मत मांगा करो।।

मुफ्त खाने की कभी, आदत तक लगाया न करो ।

राशन शकी दुकान का,चक्कर भीन लगाया करो।।

खुदा सबको दियाहै हाथ दो-दो,कमानेऔरखानेके लियै।

कुछ दे किसी को खुश रहो,,हाथ पर हाथ धर बैठानरहो।।

किसी से मांगने की आदत, कभी डाला न करो ।

मिले दो हाथ को रहते कभी,भूले भी फैलाया न करो।।

भरोसा कर विधाता ने तुम्हे, दे सबकुछ है भेजा ।

भरोसे पर खड़ा उतरो उनके,उसे तोड़ा न करो ।।

सारे ही जीव से तुमको, श्रेष्ठ मानव बनाया है ।

भरोसा तोड़ कर उनका, उन्हें निराश न करो ।।

इन्सान और एक जानवर में, फर्क तो होता यही ।

साथ में जानवर इन्सान को,कभी भी तौला न करो ।।

बड़ा जब भाग्य होता है, तभी मानव बना करता ।

मानव जिंदगी पाये , तो मानव कार्य भी करो।।

2 विचार “नफरत न करो.&rdquo पर;

टिप्पणी करे