किस बात को सच मान लें,लेना कठिन है फैसला ।
कब क्या है करना क्या नहीं,करना कठिन है फैसला।।
विभिन्न कचरे हैं भरे, जहां जन्म लेता फैसला ।
अम्बार कचरों का वहां , होता जहां पर फैसला।।
अपनी आंख पर पट्टी लगाये,करते बैठकर जो फैसला।
खुद देखना नहीं चाहते, सुन सिर्फ देते फैसला ।।
विश्वसनीयता का ले तराजू, जो हो रहा है फैसला ।
धृतराष्ट्र ने जैसा किया , होगा वही क्या फैसला ??
सुनते सदा दिन रात रहते, करते जो रहते फैसला ।
मस्तिष्क थका कर बैठ जाते,करना जिन्हें है फैसला।।
संतोष घटते जा रहा , होता देर से जब फैसला ।
असंतोष से संदेह पैदा, करवा रहा है फैसला ।।
लेकर तराजू बैठ गये, जिनको है लेना फैसला ।
उन्हें सावधानी है बरतनी , कहीं गलत न हो फैसला।।
लगाये टकटकी आंखें थकी ,फिर भी न आया फैसला।
उम्मीद करते जिंदगी गयी, फिरभी हुआ नहीं फैसला।।
पुश्त कितने गये बदल, फिर भी न होता फैसला ।
फिर सोंचना है लाजिमी, बेकार का है फैसला ।।
पथरा गयी हो,आंखें कितनी, फिर भी नआया फैसला।
मौत तक आया नहीं , फिर क्या सुनेगा फैसला ।।
कुछ करने से पहले जिंदगी में, करलें मन में फैसला ।
फैसला गर हो गया तो, बदले नहीं फिर फैसला ।।