यह जिंदगी क्या है ,महज बस एक है सपना ।
पवन का एक झोंका भी , तोड़ देता कभी सपना।।
सपना तो बस सपना, इस में दम ही है कितना ।
अधूरी ,पर बिना इसके , रहती जिंदगी अपना ।।
असफल जिंदगी उसकी, नहीं देखा जो हो सपना ।
पता गणतब्य नही जिसको, निश्चित है भटक जाना।।
वही कुछ कर दिखा सकते ,जो पहले देखते सपना।
एक लक्ष्य जीवन का , शुरु करता वही सपना ।।
लक्ष्य जो देखते रहते , मंजिल तक पहुंच जाते ।
अथाह सागर जिन्दगी का , पार कर जाते ।।
जिन्हें पर लक्ष्य न दिखता, उन्हें तो डूबना तय है।
दिशा से हीन भटकों को , होना ही लय तय है ।।
यह जिंदगी नाज़ुक बहुत, सागर अथाह है ।
है जाना तैरकर इसको ,अति-दुर्गम ये राह है।।
जिसे पर हौसला होता , तैर कर पार हो जाता।
न सीखी भी हो तैराकी ,वह उस पार हो जाता ।।
असंभव जो हुआ करता ,वह संभव भी हो जाता।
न जाने कौन सी शक्ति , उसे है पार करवाता ।।
वधिरों के गले सेभी , कभी स्वर फूट पड़ता है ।
गूंगे भी कभी अपनी , जुबानों बोल पड़ता है ।।
बातें ये संभव है , कभी ऐसा हुआ करता ।
कैसे हुआ संभव , गुत्थियां है सुलझ सकता ।।
विधि कुछ है विधाता का , जिसे विधान है कहते ।
असंभव हो कभी संभव ,उसे बरदान है कहते ।।