फड़क रही है आज भुजाएँ, भारत के बीर जवानों का।
खबरें लेना चाह रहा है, पाक के इन बेईमानों का ।।
बहुत प्यार से समझाया, माना उनके बँटवारे को ।
दिया उन्हें उनका हिस्सा भी ,उनके रहनुमाओं को।।
अच्छी बातें पर समझ न आयी, ना छोडी़ अपनी हरकत को।
कहते बातों से समझ न आती , लातों के इन भूतों को ।।
दवा चाहिए इनको कड़वी ,इस बहुत पुराने रोगी को ।
इन्जेक्शन बडी लगानी होगी ,क्रानिक रोगों की रोगी को।।
असर नहीं फिर भी होता ,तो मोटी सूई लगा दो ।
गदहों की लगनेवाली ही ,कोई उसको सुआ लगा दो।।
यही रास्ता बचा शेष ,इन थेथर को समझाने का।
अड़ियल सा मरियल टट्टू को ,अपनें पथ पर लानें का।।
विवेक खत्म हो चुका है लगभग ,बचा नहीं कुछ इनका।
लेकर उधार किसी से थोडा , हो रहा गुजारा इनका ।।
नाच नचाता इनको वेसे , यह नाचा हैं करते ।
अपना विवेक तो रहे नहीं, बन कठपुतली सा नचते।।
बेईमानों का राज वहाँ , बेईमान वहाँ हैं बसते।
ईमान किसी में है थोड़ा, तो इसके कौन है सुनते।।
धर्मांध किये है नेता उसका ,मखतब में यही पढाता।
भोले भाले सज्जन जन को, हरदम मूर्ख बनाता ।।
उल्टी सीधी बात बता ,बरगला दिया है सबको ।
शोषण चाहे जितना करता ,कहाँ होश है किसको।।
यह तो बस है कठपुतली, इसको तो कोई नचाता ।
सिर्फ नाचता ही रहता है, जो जैसे उसे घुमाता ।।