समझते और की पीड़ा, ऐसे लोग कम होते ।
जो जीते और की खातिर,अधिकतर लोग ये होते।।
नहीं आसान है होता, पर-पीड़ा समझ लेना ।
डाल खुद जान जोखिम में, औरों को बचा लेना ।।
संख्या कम बहुत इनकी , फिर भी शून्य नहीं होती ।
यूं जो चीज अच्छी हो , बहुत ज्यादा नहीं मिलती ।।
कोयले के खदानों से , कभी हीरा भी मिल जाता ।
जरूरी पर नहीं कि , हर खदानों में ही मिल जाता ।।
कभी तो इत्तिफाकन भी , कुछ घटना घटित होती ।
आमूल परिवर्तन हृदय का , यह किये देती ।।
हृदय में हर तरह की शक्तियां, सुसुप्त पड़ी रहती ।
जागृत किया जाये अगर तो, जागृत हो उठती ।।
लुटेरा बाल्मिकी को , महाऋषि बना देता ।
जो अपने ज्ञान का आलोक,हर ओर फैलाता ।।
जिनकी कृतियों को , आज भी सम्मान देते लोग।
श्रद्धा से पठन कर के , उनका मान देते लोग ।।
ईशु ने लोग का कल्याण में , जीवन लगा डाला ।
दे कर जान अपनी ,लोग का कल्याण कर डाला ।।
गांधी क्या लिया था देश से,सका जितना दिया उसने।
सर्वस्व को छोड़ें , जीवन दे दिया उसने ।।
बड़े सम्पन्नता से जिंदगी ,अपनी बिता लेते ।
लंगोटी से बसर की जिंदगी, चाहते ठाठ से जीते।।
समझते और की पीड़ा, गम अपना भूल जाते वे ।
जगत कल्याण की खातिर ,हलाहल पी भी जाते वे।।