कान्हा तेरी बन्सी बजती होगी…

आया सावन माह कान्हा,तेरी बंशी बजती होगी।
तूँ झूले झूल रहे होगे,तेरी गईया चरती होगी।।
आया सावन माह,कान्हा,तेरी……….

वृन्दावन में रास रची ,होगी सारे बन में ,उपवन में ।
कहीं कुँज में बैठ मजे से, तेरी मुरली बजती होगी ।।
आया सावन माह कान्हा ,तेरी बंशी………….

घूम घाम कर गईया बन में ,घास हरी चरती होगी ।
ग्वाल-बाल संग बैठ खेल , मस्ती तेरी चलती होगी।।
आया सावन माह ,कान्हा…………….

बरसाने की राधा रानी, दौड़ चली आई होगी ।
गोपियन की पूरी टोली भी ,उन संग आयी होगी।।
आया सावन माह,कान्हा………….

कभी फुहारें आसमान से ,बादल बरसाती होगी ।
काले घन को देख मोरनियाँ, ता थैया करती होगी।।
आया सावन माह,कान्हा………….

ओ काली कमली वाले तूँ ,ऐ गोवर्धन धारी ।
ऐ जसुमति के लाल ,दरश को अँखिया रोती होगी।।
आया सावन माह ,कान्हा……..

गिरिधर तूँ ही , तूँ मुरलीधर,तूँ चक्र सुदर्शन धारी ।
जो जी चाहे तुझको बोलूँ ,जब जो ईच्छा होगी ।।
आया सावन माह , कान्हा तेरी………….

तेरी सहेलन सात शतक ,संग में गोपों की टोली ।
माखनचोरी और चितचोरी,जम कर चलती होगी।।
आया सावन माह ,कान्हा तेरी बज……………

^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s