श्री हनुमान कथा

सच्चिदानन्द सिन्हा

श्री हनुमान कथा

श्री रामभक्त, श्री हनुमान की गाथा गाता हूँ ।

आज पवनसुत हनुमान की कथा सुनाता हूँ ॥

अंजनीपुत्र थे केशरीनंदन, पवनपुत्र हनुमान।

भान न थी अपनी शक्ति की, न था उसका अभिमान॥

भूख लगी, तब आसमान में देखा सूरज लाल।

खाद्य समझ कर दौड़ पड़े, गए निगल समझ फल लाल॥

अंधकार छा गया जगत में, हुये सब जीव-जन्तु बेचैन।

वज्रास्त्र चलाया इंद्र, हुये बेहोश बाल हनुमान॥

खबर मिली जब पवन देव को, बेटे का हालत जाना।

हो गए कुपित, गुस्से में आ, प्रलय करने को ठाना॥

रुक गया पवन, थम गया समय, जो जैसे थे, सब रह गए।

अचल, सभी मूरत हों जैसे, बन कर मानो रह गए॥

हुये विकल सब देवगण, हुआ विकल पूर्ण संसार।

त्राहिमाम सब ओर मची, फिर ब्रह्मा  किए विचार॥

देवगण जा विनय करो, तुम पवन देव के पास।

मुक्ति वही दिला सकते, कोई न दूसरा आस॥

पवन देव के पास पहुँच, सब…

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