आज सच्चाई विवश है.

सच्चिदानन्द सिन्हा

ये दुनिया उसी की , जमाना उसी का ।

जिसने शराफत न सीखी, जो हुआ न किसी का।।

नहीं पास तहजीब कोई, न तौर, न तरीका ।

नहीं पास विद्या कोई, न सीखा सलीका ।।

गलत काम सबको ही , मन आज भाये।

गलत जो न करते , वे मूरख कहाये ।।

बेईमानों के हाथों ,सच्चाई बेबस है ।

सिवाये सिसकने के ,चलता न बस है।।

बुरा कर्म करना , उन्हें सिर्फ आता ।

जो बुराई में डूबे , मन इनको भाता ।।

चोरों, बेईमानों का , संगत उन्हें है।

नजरों में उनकी , सज्जन ही बुरे हैं ।।

रखता वो खुद को, नशा में डूबाये ।

कोई ऐसा नशा न, जो बच उससे पाये ।।

डूबते हैं खुद भी, औरों को भी डुबाते।

नये लोग को भी, हैं पथभ्रष्ट बनाते ।।

इनकी संख्या बड़ी है, जमात बड़ी है।

कुपथ पे चलने की ,हिमायत बड़ी है ।।

इनसे बचकर निकलना…

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