जज़्बात में बहकर कभी भी , कुछ न कीजिए ।
मीठी लगे काफी जहर , पर हरगिज न पीजिए।।
हर चीज जो मीठी लगे , मिष्ठान नहीं होते ।
कितनी जहर उसमें भरी ,यह जान लीजिए।।
करने या करने के कबल, मंथन उसे मन में करें।
हर ढ़ग से अच्छा लगे , वही सब काम कीजिए।।
लेना अगर हो फैसला ,न जल्दबाजी कीजिए।
हरबर का लिया फैसला पर, भरोशा न कीजिए।।
प्रतिउत्पन्न- मतित्व की जरूरत सबकोही रहनी चाहिए
जरुरत जल्द की होती, वहाॅं मत देर कीजिए ।।
अहम कुछ फैसला करना, जरूरी जल्द भी होता ।
सोंचे बिना गंभीरता से, तो कुछ न कीजिए ।।
जज़्बात में बहना कभी ,होता नहीं अच्छा कभी ।
नहीं लेकर गलत कोई फैसला ,पश्चाताप कीजिए।।
एक भूल ही काफी , सभी सूकर्म धोने के लिए ।
हो स्मरण इस बात की , कभी भूला न कीजिए।।
जज़्बात ने ही ले डुबोया ,हरलोग को हरदम सदा ।
कोशिश कभी बह जाने का , नहीं प्रयास कीजिए।।