ज्ञान मानव का मानव , बिगाड़ा न होता।
हाल दुनियाॅ का ऐसा , हुआ ही न होता।।
ज्ञानियों में ठगी चल रही ,आज जमकर ।
ठग ही बैठे बने ,ज्ञानी का रूप धर कर ।।
कौन असली यहाॅं ,कौन नकली यहाॅं ।
या सबके ही सब , आज नकली यहाॅं ।।
बहुत ही कठिन आज, है जान पाना ।
कौन असली या नकली , इसे ही बताना।।
आज शिक्षा का मतलब है, दौलत बनाना ।
मिले चाहे जैसे , उसे लूट लाना ।।
शिक्षा कहाॅं आज , मानव बनाता ।
सिर्फ दौलत कमाने का ,साधन बनाता।।
पाठ नैतिकता का , नहीं आज होता ।
चलता फिरता हुआ , एक टकसाल होता।।
देश -हित में नहीं , कुछ किया अब है जाता ।
सिमट भाषणों तक , केवल रह है जाता ।।
आज नेता और जनता , दोनों एक जैसे ।
सुधरेगा भला ये, समां अब ये कैसे ।।
भ्रष्टाचार का , बोलबाला यहाॅं हैं ।
काम इसके बिना यहाॅं ,होता कहाॅं है??
भ्रष्टाचार रग में, घुंसा जा रहा है ।
रोक पाना तो सम्भव,नहीं लग रहा है।।
रोक पायेगा उंनको , मसीहा जो होगा ।
रुप मानव का पर,उससे ऊपर का होगा।।
काश !मानव में मर्ज ये ,हुआ गर न होता।
सोंच दुनियाॅं का , बदला हुआ आज होता।।