पुष्प बाटिका में आया, जाड़े का मस्त बहार नया।
खिले हुए हैं विविध किस्म के, फूलों का प्रकार नया।।
शबनम कीबूॅदें छोटी-छोटी,लगरही जरी कुमकुम जैसे।
फूलोंकी कोमल पंखुड़ियों पर,लगे बिछा मोती जैसे ।।
झुके डाल पौधों का जैसे,स्वागत में झुका ग्रिवा उनका।
सुप्रभात की अगवानी,करता अभिनन्दन मन उनका ।।
फूलों-पौधों के आनन पर, खुशियों की लहरें छायी है।
खुशी बहुत सब में छायी,कलियां कलिया मुस्काईहै।।
प्यारी-प्यारी छटा निराली, जिधर देखिए छायी है ।
नयनाभिराम यह दृश्य,लगे सुरलोक धरापर आयी है।।
पूरबसे लाल किरण सूरजका,धीमीसी धरतीपर आईहै।
बड़े स्नेह से रौनकता में, चार चाॅद लगाई है।।
बड़ी सुखद लगती है किरणें,ठंढ़क से त्राण दिलातीहै।
फूलोंकी मनमोहक खुशबू,बागों में भर जाती है ।।
प्रकृति तेरा एहसान धरा पर,हमसब आभारी हैं तेरा।
बदले में हमसब तुझको, धन्यवाद करते तेरा ।।
दृश्य दिया जो यह मोहक,मन सदा ही याद करेगा।
तेरी यह मनमोहक आभा, दिल में बसा रहेगा ।।
तितली फूलों पर रंग बिरंगे, भॅवरों का ऊपर में गुंजन।
मधुमक्खी डूबी मधुर स्वाद में,गाती रहती है वंदन।।