ऐ मीत मेरे ,तुम गये कहाॅ ,दिल तुझको ढ़ूॅढरहा है।
बेताबी से हर ओर तेरा ही, पंथ निहार रहा है।।
क्यों छिप-छिपकर हरदम मुझको, रहते सदा रूलाते ।
मिलती आहट कभी तुम्हारी,परघिसक वहाॅसे तुमजाते
दौड़-भाग जीवन भर थक गये,अबतक नहीं मिले हो।
दौड़ाओगे कबतक कितना ,तुम ही बतला सकते हो ।।
रहम सदा करते ही रहते, थोड़ा और बढ़ा दो ।
दिव्य-ज्योति देकर कुछ पल का, दर्शन मुझे करा दो।।
तरस रही है मेरी ऑखें, दर्शन बिन शाॅत न होगी ।
मेरी आरजू ,मिन्नत सारी , जाने पूरी कब होगी ??
चाहे जितनी देर लगा दो, मै नहीं कभी हटने वाला ।
तेरा हृदय द्रवित करके दम लूॅगा,बिन कियेनही जाने वाला।।
जिद भी मुझको तुमने देकर,जिद्दी मुझे बना डाला ।
मैं निरीह ,निसक ,अज्ञानी , बड़ी मुसीबत दे डाला।।
अपनी ही जिद के कारण, संकट में मैं फॅस जाता ।
पर यादतेरी जब आतीहै,संकटसे स्वत:निकल जाता।।
तुम्हीं मुसीबत लाते रहते, तुम्हीं बचाया भी करते ।
मेरा उसमें क्या जाता है,तेरा जी चाहे करते रहते।।
महसूस दर्द कभी होता ,मैं तुझे पुकारा करता ।
सब छोड़ तुझे आना पड़ता ,मेरा उसमें क्या जाता।।
चला रहे जैसे हो हमको , सदा चलाते रहना ।
मैं तो तेरा अनुगामी हूॅ, जो उचित लगे सो करना।।
शिकवा नहीं है कोई मेरी, नहीं और कुछ करना ।
जो करते अच्छा ही करते, करते सदा ही रहना ।।
तुम तो मेरे परम मित्र हो, दिल तुझको खोज रहा है।
दर्शन देते ही रहना मुझको, आरजू मेरी है ।।
So beautiful 💞💞
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Wow
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