दहशत-गर्द ,क्यों, दहशत कराना चाहते हो ?
क्यों इन्सानियत बर्बाद , करना चाहते हो ??
जिसने बनाया जानवर , इन्सान भी उसने बनाया।
बहुत कुछ सोंचकर , इन्सान को उत्तम बनाया ।।
उत्तम बनें तो , काम सब उत्तम करो तुम ।
इन्सान का जो फर्ज है , पूरा करो तुम ।।
मिला है ज्ञान तो , उस ज्ञान को बतला सबों को।
मानव धर्म क्या होता , यही समझा सबों को ।।
चलना चाहिए किस राहसे , दिखला सबों को ।
दिशा का ज्ञान का निर्देश , तो करवा सबों को ।।
दिशा जो भटक जाते , सिर्फ क्या उनका कसर है?
दिशा निर्देश जो करते गलत , उसका असर है ।।
जीवन है अगर तो ,साथ समस्या भी है रहना ।
मसला आयेगा ही ,आ उसे भी है सुलझना ।।
उलझना और सुलझना , जिंदगी के साथ रहता ।
किसी की जिंदगी , इससे नही बेदाग रहता ।।
झगड़ते तो कभी आपस में, पर फिर भूल जाते।
नहीं कोई बात को लेकर, कभी आतंक मचाते ।।
समस्या का नहीं आतंक से , निदान मिलता ।
भले दब जाये थोड़ी , बाद में तुफान उठता ।।
बारूद को ढ़क दाब रखना , क्या सही है ?
हटाना निष्क्रिय कर प्रेम से , अच्छा यही है।।
आपस में मिलें -बैठें , इसे निदान कर लें।
शिकवा हो उसे हम- सब मिलें, समाधान करलें।।
मिटेगी सब समस्या , फिर न उभरेगी कभी भी ।
बढ़ेगा भाईचारा , फिर न झगड़ेगें कभी भी ।।