संस्कृति अति प्यारी भारत की,करते सम्मान सभी हैं।
अति सुन्दर अति मनमोहक कहते सभी यही है ।।
ऋषि-मुनियों का देश रहा , ज्ञान-गणों से भरा हुआ।
उनके बतलाये राहों पर ,चलकर ही इतना बड़ा हुआ।।
मानव को रहने-सहने का , सब राह दिखाया है इन्होने।
सम्मान किसे कैसे है करना, सभी सिखाया है इन्होंने।।
बड़े प्यार से स्वयं खोजकर ,राह बनाया है इन्होने।
खुद राहों को जाॅच परख कर,राह दिखाया है उन्होंने।।
देना है सम्मान किसे , आज्ञा पालन करना किनका ।
उचित सम्मान मिले सबको,ऐसा ही कहना है उनका।।
करें प्रेम सबको अपना कर,बाॅध प्रेम के बन्धन में।
नहीं लगे कोई गैर कभी ,हो समां हृदय के अन्दर में।।
‘अतिथि देवो भव’ कहा,हम सबने उनका मान दिया।
युगों युगों से हम सबने , माना और सम्मान किया ।।
सत्यवाद और कर्मवाद का, ज्ञान दिया है संतों ने।
‘अहिंसा परमो धर्म:’ज्ञान का,पाठ पढ़ाया संतों ने।।
बुद्धधर्म और जैन धर्म का,मार्ग दिखाया संतों ने।
धर्म सनातन , सिक्ख धर्म ,ये सभी सिखाया संतोने।।
हमने अपने कुछ धर्मों को,अन्य देश में फैलाया ।
जिसको धर्म लगा अच्छा, उन्होंने भी अपनाया।।
‘बसुध़ैव कुटुम्बकम ‘कोहमने अपने जीवनमेंअपनाया।
सम्मान सभी धर्मों को देंना,हम लोगों को बतलाता।।
करते हैं सम्मान सबौं को, तिरस्कार नहीं है हम करते।
चाहे मानें कोई धर्म, सम्मान सभी का है करते।।
संस्कृति हमारी है उत्तम,हम लुप्त नहीं होने देंगे।
पश्चिम देशों की पड़ती छाया,और नहीं बढ़ने देगें।।