दौलत के दीवाने हो , जहां के लोग सारे ।
सबोंको आज दुनियाॅ में, यही लगते हैं प्यारे ।।
अस्मत त्याग सकते , गम नहीं इनको तनिक भी।
नहीं पर त्याग सकते मोह,दौलत का खभी भी ।।
सकते ले किसी की जान, दौलत के लिये ही ।
कभी दे सकते अपनी जानको,इसके लिये ही ।।
ये दौलत चंचला है , जी जान से सब प्यार करते ।
नहीं कोई बांध पाया , लोग कुछ प्रयास करके ।।
जाती हर सबों के पास , रुकती कुछ समय तक।
किसी के पास कम ही बैठती,काफी समय तक।।
लोग सब देखते इनको, बड़े चाहत नजर से ।
नहीं कोई चाहता आकर,कभी लौटे इधर से ।।
माया मोह में,ऐसा सबों को बाॅध रखती ।
तिरगुण फांस में अपना ,सबों को बाॅध रखती।।
हो जाते विवस, चलता नहीं तब जोर इनपर ।
फाॅसना चाहते ,होता नहीं अवरोध उनपर ।।
पीछे है पड़े सब जानकर , अनजां नहीं हैं ।
हीरे से बदलते कोयले , ये ज्ञान नहीं है ।।
पर रोकना इनको , बहुत आसान है क्या ?
दौलत की नशा उतरे ,यही आसान है क्या ??
नशा उसकी नशीली भी, बहुत बेजोड़ होती ।
जबतक साथ रहती है ,नशा भी साथ होती।।
बोतल में भरी शराब, पीने पर नशा देती।
दौलत की नशा तो दूर से,भरपूर मर देती ।।