आज देश का क्या हाल हो गया?

दुनियां वाला दौलत का , दीवाना बन गया ।

दौलत ही आदमी का , पैमाना बन गया ।।

यूॅ तो कहते लोग , मात्र साधन है यह ।

आज साधन ही ,जीवन का साध्य बन गया।।

यही चैन का अब , लुटेरा बना।

था रक्षक , वही आज भक्षक बना।।

जाने कैसे बदल गयी , मनोवृत्तियां ?

सबमें कैसे गयी घुस , है विकृतियां ??

चोरीकर भी जो दौलत बनाते हैं लोग।

प्रतिष्ठा नहीं कम ,वे पाते है लोग ।।

आज कीमत बहुत कम है ,ईमान का ।

कद्र करते सभी ,आज बेईमान का ।।

सच ही हंस, चूगने आज दाना लगा।

कौवे को खाने ,मोती मिल गया ।।

सेटिंग का जमकर, जमाना आया ।

अच्छे पदों पर , लुचक्का छाया ।।

मैनेजर बैंकों का अब,लुटेरा बना ।

उनके सागीर्द ही ,उनका सहायक बना।।

चोरों लुचक्कों को पहरा मिला।

ऊॅट ही आज बूॅटो का रक्षक बना।।

आज चोरों पर मस्ती ,पूरी छा गयी ।

हौसला ही ईमानों की ,पस्ती हुई ।।

आयेगा फरिश्ता सुधारेगा सब।

लुचक्के मनोबल गिरायेगें तब ।।

इनके तादाद बहुत ,इनको समझें नकम।

खीर टेढ़ी ,निपटने का ,सबमें न दम।।

देशका है ये दुश्मन, उसमें नम्बर वन।

कर सकता है कुछ भी,बस पैसों का दम।।

छिपा है हम्ही में,घर का भेदी हमारा।

बेंच देगा तुरत ,बचना मुश्किल हमारा।।

देशका हाल देखें, यही आज है।

दौलत सबों का ही ,सरताज है ।।

हवस आदमी में ,जो घुंस जाता है।

निकाले न जल्दी निकल पाता है।।

बिन डुबोये नहीं , छोड़ता है उसे ।

बना कर अधम ,तोड़ता है उसे ।।

याद रखना सदा, मत लो हल्का इसे ।

हवस तो हवस है , न भूलो इसे ।।

बोलबाला हवसिरयों का ही आ गया ।

दौलत की नशा, सब पे ही छा गया ।।

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