आसमां में तारे रहते , गहरे सागर में मोती ।
डुबकी बड़ी लगानी होती,तब मिल पाता मोती।।
दीपक में भरकर स्नेह और, कच्चे रूई की बाती।
अग्नि से प्रज्वलित कराते , तब मिल पाती ज्योति ।।
जलन कोई सहता जलता है, तब मिल पाती ज्योति।
बिना किसी के जले न जगमें ,रौशन कभी भी होती ।।
बहुत झेलता कष्ट स्वयं तो, परहीत वह है कर पाता ।
स्वयं जूझ कर कष्टों से , काॅटों में राह बना पाता ।।
सदा जानता है जो देना , नहीं कभी वह है लेता ।
सदा बाॅटने में लोगों को , आनन्द बहुत है वह पाता।।
दाता बन आनन्द उठाते, मजा उन्हें काफी मिलता ।
याचक का कर हरदम नीचे , नहीं सदा क्या है रहता??
दाता का स्थान सदा से ,ऊपर ही हरदम रहता ।
याचकता तो बड़े बड़ों को, भी बौना है बनवाता ।।
किया कठिन श्रम,लगन साथ जो,वह उतनाहीहै पाता।
लगनशीलता ब्यर्थ किसी का,कभी नहीं है हो पाता।।
जग में बढ़ना है आगे तो, निष्ठा पूर्वक काम करो ।
कथनी करनी में मेल रहे ,सदा बात का ध्यान धरो।।
निष्ठापूर्वक जो काम किया ,वही आगे है बढ़ पाता ।
करनी -कथनी एक सदा हो,जिसका ध्यान सदादेता ।।
युगों युगों से सदा सदा ही,यही विधा चलता रहता ।
सुकर्म किया जीवन में जो,वही है आगे बढ़ पाता ।।