मित्रता आजकी.

मित्रता का हाल कैसा , आज होता जा रहा ।

फरेबियों के कर्म से, बदनाम होता जा रहा ।।

कीमत अति ,अथाह भाडी , कोई तौल ही न पायेगा।

अब तक तराजू बन न पाया, चढ़ ये जिसपर पायेगा।।

बाट भी इतना नहीं जो, चढ़ बराबर कर सके ।

मित्रता के वजन से ,पलड़े को सीधा कर सके ।।

अब घुंस गये नक्कलियां, बदनाम करने लग गये।

सफेद पावन दामनों में , दाग लगने लग गये ।।

क्या समय का फेर है,या कलियुगी प्रभाव है ?

भर रहा दिल में घृणा , प्रेम का ही अभाव है ।।

बड़ा ही पावन मित्रता , विख्यात तेरा नाम है ।

अब गलत , लोभी , दुष्ट- बुद्धि , कर रहा बदनाम है।।

स्वर्णिम दिनों के मित्र सारे, दुर्दिनों में हैं नहीं ।

तुमको जरूरत आयेगी ,दर्शन तुम्हें देगें नहीं ।।

मिल भी अगर वो जायें जो ,उनको बहाना पास होगा।

मुख मोड़कर चल देनेका, हरदम बहाना साथ होगा ।।

अच्छे दिनों में मित्र सारे ,हरदम जो रहते साथ तेरे।

क्या नजर वे जायेगे भी , जब विगड़ गये दिन तुम्हारे।।

मिलना बहुत ही दूर है, मुख फेर कर चल जायेगें।

पुकारते रह जाईए , पर क्यों नजर वे घुमायेगे ??

मित्रता अनमोल होती, फीके सभी है रत्न इनसे ।

हीरे जवाहर जग के सारे ,मिल के पड़ते कम हैं इनसे।।

यारी सुदामा कृष्ण की ,परवान होती आ रही है।

पर आज अब वह नाम भी,,बदनाम होताजा रहा है।।

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s