गुल

गुल नहीं करता कभी तूॅ ,नाज अपने आप पर ।

कोमल कली या अधखिली,नव किसलयों के रासपर।।

कोमल मुलायम डालियों पर, पत्र भी रंगीन हो ।

हर पेड़ के पत्ते लिये , कछ रूप अपने भिन्न ही।।

पत्ते अनेकों रंग ले कर , लाल,पीले, कुछ हरे ।

या अनेकों रंग का , कुमकुम लगे उनपर जड़े।।

पुष्प उनपर है लगे , अनेक रंगों से भरे ।

खुशबू सबों का है अलग,पर है सभी मधुरस भरे।।

ऐ रात- रानी नाम तेरा , जो दिया अच्छा दिया ।

अनरुप तेरा दे उजागर ,नाम वो अच्छा किया ।।

सुगंध तो है पसंद तेरा , छोटे- बड़े सब जीव को ।

खींचे चले आते सभी , रोके न रुकता आपको ।।

मदहोश हो जाते हैं पी , मादक ,मधुर मकरंद को ।

पंखुड़ी के रंग लुभावन , भाते बहुत अंतरंग को ।।

बालाओं के अलकाओं में,यह शोभती है बंध जूड़ा से।

देव के सर पर चढ़ा वह, शोभते मिलकर जटा से ।।

सम्मान देते हम पन्हाकर , पुष्प का माला गले में ।

‘सेज फूलों का’ बना , उपमा तो देते हैं मजे में ।।

फूल देता साथ सब को, जिन्दगी के हर पलों में।

सुख में गले का हार बन,चढ़ता जनाजा अंतपल में।।

जिन्दगी भर जो निभा दे , साथ ऐसा कम मिलेगा ।

गुल तेरा एहसान चुकता ,कर दे ऐसा कम मिलेगा ।।

तुम खिला करते न केवल , माली के उद्यान में ।

मिलते भी हो बहुतायतो से ,निर्जन सघन वियवान में।।

यह कृपा है प्रकृति की , या करिश्मा कर्म का ।

जो भी हो पर बात इतनी, यह विषय है गर्व का ।।

ऐ गुल तेरा है विशाल हृदय , चाहे रहो जिस हाल में।

कोमल ही तचम रहते सदा , हॅसते सदा हर हाल में ।।

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