सरदार पटेल.

दो शक्ति मेरी लेखनी में ,सहयोग कर मेरे काम का।

हम जा रहे करने शुरू, गुण-गान एक इन्सान का ।।

इन्सान वह कोई नहीं , सरदार बल्लभ नाम उसका।

भाई पटेल संग में ही ,लौह-पुरुष भी नाम उसका।।

आजादी की जंग जम लड़े, बापू के बन शागीर्द वे।

आजादी की संग्राम में, बापू को देते साथ वे ।।

जीवन वे पूरा ही लगाया , देश के कल्याण में ।

शिक्षा को वे अर्पित किये ,देश का निर्माण में ।।

भारतको आजादी मिली,टुकड़ेथे पाॅचसौसाठ लगभग।

सबको मिलाकर एक करना,थाअसंभव काम लगभग।

आजाद भारत का प्रथम, गृहमंत्री उनको बनाकर।

देश था आस्वस्थ उनपर,यह कठिन सब काम देकर।।

लौह-पुरुष तो लौह पुरुष थे,कार्य को कर यूं दिखाया।

टुकड़े थे जितने जोड़ सबको, एक भारतवर्ष बनाया।।

नेहरू की जिद के चलते,रहगया कुछ काम अधूरा।

हो न पाया आजतक , कश्मीर का हल है अधूरा ।।

वे चले गये त्याग हमको, छोड़ मेरे हाल पर ।

नही दिया है ध्यान पूरा,हम उनके अधूरे कामपर।।

पूर्वज हैं हमरे देश का पर,ध्यान हम देते नहीं हैं ।

मात्र निभाते शिष्टाचार, राह पर चलते नहीं हैं।।

उनके बताये राह पर, चलना हमारा धर्म होगा।

देश को आगे बढ़ा दें ,यह हमारा कर्म होगा ।।

शत शत नमन मेरा तुझे,कर स्वीकार मेरे पूर्वज।

आशीष दें हम पूर्ण कर दें, स्वप्न सब तेरे पूर्वज।।

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