जादूगरी देखें प्रकृति की.

माली रोज आ जाता सबेरे, पुष्प को तोड़ लेता है।

कलियां,अधखिली कलियां ,चमन में छोड़ देता है।।

जादूगरी देखें प्रकृति की, चमन फिर से खिला देती।

उजड़े चमन को रातभर में , गुलजार कर देती ।।

यही दिन-रात दुनियां में, चलता सदा रहता ।

निर्माण और विध्वंस भी तो’, सर्वदा होता ।।

जो जिसका काम होता है,नियमित किया करता।

समय को बिन गॅवाये , कर्म अपना सर्वदा करता।।

करना कर्म ही केवल, मनुज के हाथ होता है ।

फल क्या मिलेगा,कब मिलेगा, नहीं यह ज्ञात होताहै।।

बिन चिन्ता किये फल का,जो अपना काम करते हैं।

जगत में लोग ऐसे ही, बड़े विख्यात होते हैं ।।

कोई है जो पल-पल का ,सदा पावंद रखता है।

समय पर सब कराता है ,देर ना सबेर करता है।।

समय जो तय किया रहता ,पालन सब को है करना।

मोहलत कुछ पलों का भी, किसी को है नहीं मिलता ।।

फूलों को लगाना , तोड़ लेना , नियत रहा करता ।

नियति को तोड़ने का दम , किसी में ही नहीं रहता।।

चलती ढंग से दुनियाॅ ,चलाते जो नमन उनका ।।

आभारी आपका हम सब ,करते हम नमन उनका ।।

2 विचार “जादूगरी देखें प्रकृति की.&rdquo पर;

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