गुलाब खिलते हैं डालों पर, डाल काॅटो भरे होते।
कमल खिलते हैं तालों में, ताल कीचड़ भरे होते।।
हीरे भी मिला करते जहाॅ ,काले कोयले होते ।
तपते स्वर्ण अग्नि में , आभूषण तब बना करते।।
दमकने के लिये हर चीज को ही,दाहने पड़ते।
दाहे जो नहीं जाते, आभूषण बन कहाॅ पाते ??
खुदा खुद से तपाते जब, समझ संदेश वे देते ।
भाग्य है जागने बाला, द्वार को खट खटा देते ।।
तूफाॅ आगमन के पूर्व, हमें संकेत दे देते ।
पवन तो शांत हो कर ही , हमें सबकुछ बता देते।।
प्रकृति जो कुछ दिया करती, सबों के ही लिये देती।
सारे सचर अचर ,हर जीव जन्तु , के लिए देती ।।
नजर अंदाज करने में , कभी बिश्वास न करती ।
जो उनसे शत्रुता करते, उसे भी बक्श वह देती।।
सबों को सम्हल जाने का, सदा अवसर दिया करती।
सम्हाले भी सम्हलते जो नहीं, उन्हें दंडित किये देती।।
हर चीज पर उनकी निगाहें, सर्वदा रहती ।
पलके झपकते भी , नजर उनकी नहीं हटती।।
जगह ऐसी नहीं होती, नजर उनकी न जा पाती ।
उनकी निगाहों से, ओझल कुछ न हो पाती ।।
जो ओझल समझ लेते, वे तो भूल में रहते ।
, उनके कारनामे सब, कहीं पर दर्ज हो जाते।।