दिल दुखता है तो दुखे मेरा,कहते जाओ पर सत्य कहें।
मत कभी झूठ बोला करना, चाहे कुछ भी लोग कहें।।
साथ सत्य का देते कम ,झूठों का साथ दिया करते।
झूठोंसे सधता मतलब,तरफदारी उन्हेंकिया करते।।
काफी बदल रही दुनियां,बदले सारे लोग यहाॅ ।
उचित अनुचित का फिक्र कभी,अब करता ही कौन यहाॅ।
सच्चाई को तोड़-मोड़ कर ,लोग प्रस्तुत कर देते ।
सच्चाई पर लोग आज, झूठों का कचरा भर देते।।
असफल प्रयास उनके मस्तिष्कमें,सदा उपजता रहता।
सच्चाई को ढ़क देने का,षंडयंत्र नया नित गढ़ता ।।
छल-प्रपंच से भरी है दुनियाॅ ,लगभग लोग छली हैं।
दूर रहें इस अवगुण से,संख्या की इन्हें कमी है ।।
नीयत आधिकों की काली होगयी,निर्मल काफीकम है।
न्याय बिलखता रोता फिरता,पर करते तनिक न शर्म हैं।
पतन उनका होगा कितना,पता ही कहाॅ किसी को ?
कितना और गिरेगें नीचे, नहीं यह ज्ञात किसी को ।।
हद को पार किये लगता , पर हद ही कहाॅ पता है?
इन्सान कहांतक गिर सकता,कह इसे कौन सकताहै??
नजाने कौन बनाया मानव,मकसद तो नहीं बुरा होगा?
भटक जायेगा मस्तिष्क इतना,नहीं कभी सोंचा होगा।।
परवही सुधार सकता केवल,कोईअन्य नहीं कुछ कर सकता।
ऐ प्रकृति ,सृष्टि यह तेरी,कोई अन्य चला नहीं सकता।।
Good expression. Thank you
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धन्यवाद।
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