वक्त को समझ कहां पाते.

अधिक जो बोलते रहते ,पर कम कर्म किया करते।

ब्यर्थ की बात करने में, समय बर्वाद कर लेते ।।

अपने अनमोल किमती वक्त,लगा बकवास में देते।

खुद अज्ञानताबस स्वर्ण को ,लोहा समझ लेते ।।

हमें जो मुफ्त मिल जाते , उसे हम हजम न करते।

ब्यर्थ बर्बाद करने में , जरा भी हिचक न करते ।।

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बिना मिहनत किये दौलत ,किसीको जबकभी मिलता।

पानी की तरह उसको बहा, बर्बाद कर देता ।।

बहुत कम लोग ऐसे हैं, इसे सम्हाल जो लेते ।

कनक की तीब्र नशा को भी, सहजता से दबा देता।।

समय को जो समझ पाते, समय के साथ में चलते ।

विषम परिस्थितियाॅ उनको,बहुत ही कम मिला करते।।

समय के साथ में चलना, बहुत आसान है होता।

प्रवाह के बिपरीत चलना, दुष्कर अति होता ।।

जो युग परुष होते, वही विपरीत चल पाते ।

समाज की कुरीतियों से,वे खुद निपट लेंगे ।।

ऐसे लोग दुनिया में, बहुत ही देर से आते ।

समस्या विषम हो जाती,तो उससे निपटने आते।।

समस्या से निपटने को, सदा तत्पर हुआ करते।

समझते लोग रह जाते,ये पूर्ण कर काम चल देते।।

गाॅधी को जरा देखें , पटेल सरदार को देखें।

अपना कर्म कर पूरा,निकल दोनों गये देखें।।

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