ऐ चीनी वैज्ञानिकों, तुम क्या ये करते जा रहे ?
निंदनीय अनुसंधान नित्य ,क्यों तूॅ करते जा रहे??
कुछ भी करने से कबल, तुमने कभी सोंचा है क्या?
जोकुछ भी करते जारहे,अमानुषिक यहहै नहीं क्या??
हो ज्ञानीतो काफी बड़े तुम, कोई मूर्ख तो तुम हो नहीं?
दूर दृष्टि भी तुम्हारी, सिर्फ निकट ही दिखती नहीं ??
ज्ञान और विज्ञान का,स्थान ऊॅचा ही सदा से ।
जग को देता ही रहा है, लिया नहीं यहतो किसी सै।।
तेरा किया हर काम तो,कल्याण मानव है करता।
मानव का ही कल्याण में,ब्यस्त तूॅ दिन रात रहता।।
तुम तो सदा देते उन्हें,उनसे कभी लेते नहीं हो।
मानव का कल्याण करते, बदले में कुछ लेते नहीं हो।।
परक्या हुआ यहतो बता,निज पथसे हीक्यूं भटक गये?
सिर्फ भटके ही नहीं खुद,कुपथ पर भी चल गये ।।
था जीवन बचाना धर्म तेरा,उल्टे तूॅ लेने लग गये हो।
क्या किये तुम जा रहे,इन बात को सोंचे कभी हो ??
असंख्य हत्यायें जगत में, तुमने ही तो फैला दिया है।।
निर्दोष सारे लोग को ,तुमने ही तो मरवा दिया है ।।
ज्ञान का दुरुपयोग अपना, सोंच लो तुमने किया है ।
पाप का भी ब्यर्थ भागी , स्वयं ही तुमने बना है ।।
यह घिनौना काम तुमसे, काश गर होता नहीं ।
जान सारे बेगुनाहों, का कभी जाता नहीं ।।
आज जो कुछ हो रहा , तेरी नहीं क्या देन है ?
उन बंदरों के हाथ में , नारियल तेरी देन है।।
पाप तो तुमने किया खुद, और करवा भी दिया है।
तय है सजा मिलनी तुझे, कर्म घृणित तूॅने किया है।।
रे नराधम भुगतने को, तैयार रहना है तुग्हें ।
जैसा किया है कर्म तूॅने ,भुगतना तो है तुम्हें।।