संस्मरण.

कुछ पलों की यादें, कभी दिल से नहीं जाती ।

जबतक जिन्दगी रहती ,भूलाये भुल नहीं पाती।।

पत्थर पर पडी गहरी लकीरें, सी हुआ करती ।

मौसम की चपेटें चाह उसको , मिटा नहीं पाती।।

मौसम चाहता धोना, अथक प्रयास भी करता ।

पर ब्यर्थ सब जाते, मतलब ही नहीं सधता ।।

जबतक जिन्दगी रहती ,तबतक कौधती रहती।

उसका छाप उसकी जिंदगी से, मिट नहीं पाती।।

जो कुछ देखता सुनता , मस्तिष्क में चला आता।

बड़े तरकीब से उसको यहाॅ पर, रख लिया जाता ।।

यादों का खजाना यह ,बड़ा बेजोर है होता ।

जितना बढायें आप , बढ़ता ही चला जाता ।।

जरूरत जब कभी पड़ती,खजाना से उसे मिलता।

उनका ढूंढ़ने में वक्त जाया , तक नहीं होता ।।

जो कुछ देखता सुनता ,ज्ञान उससे मिला करता ।

इकत्रित ज्ञान ही उसका ,समय पर काम भी देता ।।

मन का संस्मरण उसको,समय पर काम भी आता ।

कभी भटकतों का मार्गदर्शन, भी किये देता ।।

इसे दिल में बसा रहता, सयाना वह हुआ होता ।

समय पर रास्ता उचित ,बतानें में मदद करता ।।

जिन्हें हम संस्मरण कहते, खुदा की देन है होता ।

समय पर जब जरूरत हो,बड़ा ही काम में आता ।।

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