काश!बापू के राहों चलते!

खादी पर जोर दिया बापू ने,चरखा,तकली चलवाया।

लेकरकिसानसे बुनकर तकका,स्वरोजगार परध्यान दिया।।

कुटिर और उद्योग लघु पर,जोर सदा ये देते ।

पर अगली पीढ़ी एक न मानी,बातों पर ध्यान न देते।।

कर दरकिनार उनकी बातें,अपनी कर दी मनमानी।

छोटे उद्योगें बंद परे, फिरभी पर बात न मानी ।।

फलत: बेरोजगारों की,बढ़ती गयी संख्या भाड़ी ।

हुऐ उपेक्षित ,उद्योग-कुटिर , उद्योग खड़ी की भाडी।।

जो सिर्फ देखता उपर केवल,ध्यान नहीं नीचे देता ।

संदिग्ध संभलना होता उनका,गिरना लगभगतय होता

पडोसी दुश्मन चीन हमारा, नीति यही अपनाई ।

छोटे से ध्यान को बिना हटाये , चीजें भी बड़ी बनाई।।

छोटी सस्ती चीज बेंचकर,दौलत लिया बनाये ।

हम सब उनके ग्राहक बन, दौलतमंद उसे बनाये ।।

मेरी जूती मेरे सर मारा, तब हम अब पछताये ।

हमने ही भस्मासुर बनाया , तब क्या होगा पछताये ।।

याद करो बापू की बातें ,अगर उसे हम माने होते।

अपनी दुर्गती अपने हाथों,होरहे आज , नहीं होते ।।

आगे भी अभी सम्हलना है तो,उनकी राहें अपनाओ।

हम विश्वगुरू थेफिर बन सकते,सोंचो और बतलाओ।।

कुटिर उद्योग लगा कर अपनी, हालत स्वयं सुधारों ।

शत्रु का माल हम नहीं खरीदें, घर बैठे भस्मासुर मारो।।

इस भुख्खर को हम्हीं बढ़ाया,हमही इसको मार सकेंगे।

उनकी चीजें नहीं खरीद, घर बैठे,उनका संहार करेंगे।।

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