ऑखों में तेरे जाम नजर आया.

ऑखों से छलकते तेरे , जाम नजर आया ।

फड़कते तेरे लब पर, नया पैगाम नजर आया।।

तरसती मेरी ऑखो में नया , जान नजर आया ।

जो पड़े कदम धरती पे तेरे, बहार नजर आया ।।

जाये मेरी नज़रें जिधर , मधुमास नजर आया ।

भ्रमरों का गुॅजन में डुबा , संसार नजर आया ।।

निगाहें जब पड़ी तुझ पर मेरी, मुझे क्या नजर आया।

गगन से उतर आया कोई,माहताब नजर आया ।।

चमक तो ठीक वैसी ही ,नजर जिनपर न टिक पाती़ ।

तपिश बिल्कुल नहीं वैसा , बहुत शीतल नजर आया।।

खुदा मैं शुक्रिया बोलूॅ तुझे , कुछ समझ नहीं पया।

तुमने ही बनाया सब , नहीं कोई समझ भी पाया।।

2 विचार “ऑखों में तेरे जाम नजर आया.&rdquo पर;

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