आये चले गये,करते हाये.

काम करो कुछ ऐसा ,तेरा नाम अमर हो जाये।

कीर्ति तरी जगमें चमके,जीवन ही सफल हो जाये।।

कितने आये आ चले गये,जीवन भर करते हाये ।

दौलत संग्रह करने में निज,जीवन अनमोल लगाये।।

संग्रह ही करते गये अविरल, चाहे धन जैसे आये।

जीवन ही अर्पित कर डाला, कुछ और नहीं कर पाये।।

जीवन का मकसद बना लिया, दौलत कितनी आजाये।

साधन को साध्य समझ ,जीवन ही दिया डुबोये ।।

जानेका वक्त उन्हें जबआया,दौलत कुछ काम न आये।

किये कूच सब छोड़ यहीं ,लेकर कुछ जा नहीं पाये।।

सबलोग जानता बात यह ,करता है क्यो फिर हाये ?

किया इक्ट्ठात्याग सबों को,तेरा वहभी काम नआये।।

यह रोग पुराना,नया नहीं, पर लोग यही करते आये।

दौलत संचय, तो बहुत किये,पर साथ न ले जा पाये।।

बचा रहा यश सिर्फ उन्हीं का,जो कुछ अद्भुत करपाये।

अपने जीवन का दाव लगा, औरों को भला कर पाये ।।

कर अपना सर्वस्व न्योछावर,परहित जो थे कर पाये।

गांधी, गौतमबुद्ध, लालबहादुर,सरदार पटेल बन पाये।।

कीर्ति उनकीही अमर रहेगी,युग कितने चाहेबीत जाये।

चमक सदा ही आसमान से,कभी नहीं मिट पाये ।।

इन बीरों की गाथाओं का,कर श्रवण लोग सुख पाये।

आजाद,भगत सिंह सा लोगोंका,अमर कीर्ति लहराये।।