रस-रसाल का मधुर स्वाद,हर के मनको भाता।
चहक विहंगों का बागों के , पेड़ों से है आता ।।
कितना सुन्दर , आकर्षक,यह दृश्य हुआ करता ।
कलरव की ध्वनि भी कितना, मनमोहक होता ।।
मध्याह्न, धरा को आतप से,जब तप्त किये देता ।
जीव-जंतु व्याकुल होकर, बागों का शरण लेता ।।
रंग-बिरंगे पक्षीगण का, दिन-रैन बसेरा यह होता।
पेड़ों पर नीड़ बना अपना , बड़े चैन से बस जाता ।।
शाम-सबेरे पक्षीगण, समवेत गान मानो गाते ।
अपनी दिनचर्या कर पूरा,संध्यामिलन किया करते।।
सुगंध पके आमों क्या, मिठास भरा करता ।
पवन बास ले कर उसका,मद मस्त रहा करता ।।
‘फलों का राजा’ इस रसाल को , लोग कहा करते।
विविध स्वाद इनके होते,अलग कुछ नामकरण होते।।
बहुत रसीले ये होते , विविध प्रकार है इनके ।
कच्चे , खट्टे ,पककर मीठे ,विविध स्वाद हैं इनके।।
ऐ फलों का राजा ,हर साल फला करता रहना।
तेरा इन्तजार में हम रहते, हर साल मजा देता रहना।।
एक काम अहम है तेरा , जीवन सब को तूं देता ।
जीवन रक्षक प्राण-वायु भी,सुलभ सबों को है करता।।
अहम रोल है प्राणवायु का,हर जीवजन्तु के जीवनपर।
जिसक्षण खत्म अगर होजाये,अंत समझलो जीवनका
धन्य वृक्ष ,नमन हम करते , तूं फल देते,जीवन देते।
सिर्फ दिया करते तुम हमको,बदलेमें हम क्या करते??